Sunday 13 December 2015

रियल एस्टेट में निवेश का दायरा है काफी बड़ा

भारतीय नागरिकों के अलावा कुछ अन्य लोगों को भी भारतीय रियल एस्टेट में निवेश करने का सुनहरा अवसर पा सकते हैं। अब आपका सवाल यह होगा कि आखिर वे कौन से लोग हैं, जिनको यह बेहतरीन अवसर मिल सकता है। तो सबसे पहले हम बात करेंगे उन लोगों को जो कभी भारत के निवासी हुआ करते थे लेकिन अब नही हैं यानि अनिवासी भारतीयों को, जिनकी तादाद अब लाखों-करोड़ों में है। इसके अलावा वे लोग जो मूल-रूप से भारतीय हैं जो रोजगार की दृष्टि से विदेशो में रह रहें है जिन्हें पब्लिक ऑफ इंडियन ऑरिजिन भी कहा जाता है। ये सभी लोग आवासीय व वाणिज्यिक अचल संपंतियों में आसानी से निवेश कर सकतें हैं।
यहाँ तक की एन॰ आर॰ आई॰ यानि अनिवासी भारतीय के बच्चों को निवेश करने का पूरा अवसर प्राप्त है।

बहुत सारी विदेशी कंपनियों का मालिकाना हक़ में कई प्रतिशत भागीदारी अनिवासी भारतीयों के पास है वे भी भारतीय रियल एस्टेट में निवेश में कर सकते हैं।

विदेशी कंपनियों व व्यक्तियों को रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए यानि किसी तरह भूमि अधिग्रहित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से विशेष रूप से अनुमति लेनी पड़ती है। अक्सर विदेशी कंपनियों को सरकार लीज पर व्यसाय करने के लिए मौका देती है। फिर भी अगर चाहें तो ये कंपनियाँ किसी भी तरह के रेजीडेंशियल प्लाट, फ्लैट, टाऊनशिप, व कमर्शियल प्रापर्टीज़ में भी निवेश कर सकते हैं। इसके लिए वित्तीय घरेलु परियोजनाओं में भी निवेश करने का पूरा अधिकार प्राप्त हैं। इसके लिए अनिवासी भारतीय व विदेशी कारपोरेट कंपनियाँ कृषि व फार्म हाउस के ज़मीनों में निवेश कर सकते हैं।  

Sunday 6 December 2015

घर खरीदने से पहले किन चीजों का रखना होगा ध्यान

अगर आप घर खरीदना चाहतें है तो सबसे पहले प्लानिंग की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। अगर आप थोड़ी बहुत जांच-पड़ताल के बाद कोई सौदा कर रहें है तो कोई जरूरी नही है कि आपकी डील फ़ायदें की साबित हो। अगर थोड़ा सी चूक हुई तो सौदा महंगा पड़ सकता है। तो इसके लिए आपको एक जिम्मेदार व समझदार खरीददार बनने की आवश्यकता है। तो इसके लिए आपको एक यथोचित प्रक्रिया से गुजरना होता है।
डेवलपर या बिल्डर से मिलने से पहले कुछ बातें समझना जरूरी है. पहले तो जिस जगह घर लेने की सोच रहे हैं उस इलाके की कीमतों को सबसे पहले समझें. इसमें यह ध्यान रखें कि आप किस तरह के प्रोजेक्ट में घर ले रहे हैं. उदाहरण के लिए एक ही इलाके में ग्रुप हाउसिंग और बिल्डर फ्लैट की कीमतें अलग-अलग होती हैं. अगर ग्रुप हाउसिंग में घर ले रहे हैं, तो उस प्रोजेक्ट की सभी यूनिटों के रेट्स ले लें. फिर उनकी तुलना करें। 
आप जिस भी प्रोजेक्ट में घर ख्ररीद रहे हों, उसमें उपलब्ध सुविधाओं पर भी ध्यान से नजर दौड़ाएं. साथ ही प्रॉपर्टी के डाउन पेमेंट, उसकी कुल कीमत, अचानक होने वाले खर्च, कार पार्किग चार्ज, स्टांप डयूटी और रजिस्ट्रेशन आदि के खर्चो को भी समझ लें। 
अगर प्रॉपर्टी बुक करा रहे हों, तो ये तय कर लें कि तय समय पर जो रकम देनी हो, वही देनी पड़े. इसमें घटत-बढ़त न हो। 
प्रॉपर्टी की खरीदारी में बैंक लोन की भूमिका अहम है. इसलिए कर्ज लेने से पहले बैंकों की ब्याज दरों की तुलना कर लेनी चाहिए. जो बैंक सस्ता लोन दे रहा हो, उसी से लोन लेने की कोशिश करें. कर्ज के लिए बैंक से संपर्क करते समय एक पत्र तैयार करें जिसमें आप अपनी जरूरत की राशि और उसके लिए हर महीने देने वाले किश्त का जिक्र जरूर करें। साथ ही महीने की आमदनी और आपको कितने सालों के लिए कर्ज चाहिए इसका भी ब्योरा रखें. अगर आपने इसका हिसाब लगा लिया, तो आपको कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने में समस्या नहीं आएगी क्योंकि तब आपको पता होगा कि खर्च कितना आएगा और महीने की किश्त कितनी देनी है. इससे आपकी जटिलताएं कम हो जाएंगी। 
मकान खरीदने से पहले प्रॉपर्टी के बारे में कुछ बुनियादी और अहम जानकारियां जरूर पता कर लें. जैसे बिल्डर को संबंधित प्राधिकरण से मंजूरी मिली है या नहीं, जमीन की रजिस्ट्री हुई है या नहीं आदि। 
इसके लिए आसान तरीका यह है कि आप होम लोन लें क्योंकि बैंकों और उनके डीएसए (डाइरेक्ट सेलिंग एजेंट) का बिल्डरों से समझौता होता है और वे कागजात की छानबीन कर आपकी समस्या का समाधान कर देंगे. प्रॉपर्टी के दस्तावेजों के साथ-साथ उसके प्लान और लेआउट को भी समझना जरूरी है. घर खरीदते समय, खास कर अगर यह निर्माणाधीन है तो दीवार की गुणवत्ता, ईंट का काम, फिनिशिंग, बिजली का काम आदि पर ध्यान देना चाहिए. इससे आपको एक आइडिया लग जाएगा कि कैसा काम हो रहा है।
डीलर या कंपनी का भरोसेमंद होना भी जरूरी है. आप जिस भी कंपनी या डीलर से बात कर रहे हों, वो भरोसेमंद होना चाहिए. किसी धोखे से बचने के लिए डीलर या कंपनी के बारे में भी ठीक से जानकारी जुटा लें. कई बार डीलरों और कंपनियों के बार में लोग ठीक से जानकारी हासिल नहीं करतें है इससे उनको समस्याओं से जूझना पड़ता है।घर खरीदने से पहले उसकी लोकेशन पर ध्यान देना बेहद जरूरी है. उस इलाके का इन्फ्रास्ट्रक्चर, बस अड्डे, रेलवे स्टेशन, स्कूल, हॉस्पिटल, बाजार और अपने ऑफिस की कनेक्टिविटी के बारे में सोच लें. इसके अलावा आज मॉल और मनोरंजन के दूसरे स्थल भी काफी मायने रखते हैं. इसलिए इन चीजों पर विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है।
प्रॉपर्टी की कीमत इन सबके आधार पर तय होती होती है. इसलिए इन सब पर ठीक से जानकारी जुटा लें. घर जिस जगह आप प्रॉपर्टी खरीदने जा रहे हैं, वहां की भविष्य कैसा रहेगा. इस पर भी ध्यान देना चाहिए. मान लीजिए जिस जगह आप मकान खरीद रहे हैं, वहां अगले दो साल में मेट्रो निकलनी हो, तो जाहिर है वहां की कीमत बढ़ेगी. ऐसे में वहां निवेश करना फायदेमंद साबित हो सकता है. अगर आप इन बातों पर गौर करेंगे तो बहुत सी परेशानियों से अपने-आप ही बच सकते हैं । 

Saturday 5 December 2015

होम लोन के नियम और कायदे जानना है कितना जरूरी

अगर आप प्रापर्टी खरीदने जा रहे हैं, तो एक महत्वपूर्ण विषयवस्तु होम लोन होता है। जब होम लोन की चर्चा होती है तो कई बार कनफ्यूजन की स्थिति हो जाती है? समझ नहीं आता कि इंटरेस्ट रेट फिक्स्ड हो फ्लोटिंग? आइए जानते हैं कि होम लोन के री-पेमेंट पर ईएमआई किस तरह कैलकुलेट होगी और आपको क्या टैक्स लाभ मिल सकते हैं?
होम लोन फिक्स्ड ब्याज दर पर लें या फ्लोटिंग पर इस उधेड़बुन पर विराम लगाने के लिए अब बैंक ग्राहकों को हाइब्रिड लोन भी देने लगे हैं. इसमें ग्राहक यह तय कर सकते हैं कि वे कुल लोन की कितनी रकम को किस तरह की ब्याज दर पर उधार लेना चाहते हैं. ऐसे लोग, जो रिस्क नहीं लेना चाहते, वे आमतौर पर कुल लोन की 80 प्रतिशत रकम का रीपेमेंट फिक्स्ड रेट पर करना पसंद करते हैं. इसके उलट, ऐसे कर्जदार, जो ब्याज दर में होने वाली किसी गिरावट का फायदा उठाना चाहते हैं, वे अधिक से अधिक रकम फ्लोटिंग रेट पर लेते हैं. जो अब भी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उन्हें फिक्स्ड रेट के रास्ते पर चलना चाहिए या फ्लोटिंग रेट का चुनाव करना चाहिए, वे बीच का रास्ता अख्तियार कर सकते हैं. मसलन आधी रकम का भुगतान फिक्स्ड रेट पर कर सकते हैं और आधी रकम को फ्लोटिंग रेट पर चुकता कर सकते हैं.

हाइब्रिड लोन दो तरह के होते हैं. पहला तो यह कि आप कुछ राशि का भुगतान फिक्स्ड रेट पर करें और बाकी का फ्लोटिंग पर. दूसरा यह कि आप एक तय समय जैसे: पांच साल के लिए पूरी रकम को फिक्स्ड रेट पर ले लें. इसके बाद यह टाइम खत्म होते ही आपके लोन पर उस समय का फ्लोटिंग रेट लागू हो जाएगा.
घरों की बढ़ती कीमतों और बढ़ती ब्याज दरों के चलते ईएमआई की रकम भी अच्छी-खासी होने लगी है. वैसे, ईएमआई की रकम इस बात पर निर्भर करती है कि आपने कितना लोन लिया है, ब्याज दर क्या है, लोन के रीपेमेंट की अवधि क्या है और ईएमआई कैलकुलेशन की विधि क्या है, हाइब्रिड लोन कुछ हद तक ईएमआई का बोझ हल्का कर सकता है. मान लीजिए कि किसी व्यक्ति ने लोन पर ली गई कुल रकम का आधा हिस्सा फिक्स्ड रेट पर और आधा हिस्सा फ्लोटिंग रेट पर चुकाने का मन बनाया है.
अब यदि वह 40 लाख रुपये का लोन लेता है, तो वह 20 लाख फिक्स्ड रेट पर और बाकी 20 लाख फ्लोटिंग रेट पर उधार ले रहा है. मान लीजिए, फिक्स्ड रेट 12 प्रतिशत है, तो उसकी ईएमआई 22,022 रुपये होगी और 11 पर्सेंट की फ्लोटिंग रेट पर ईएमआई 20644 रुपये होगी.
इस तरह, नेट ईएमआई होगी 42,666 रुपये. अब इस बात पर विचार करते हैं कि अगर एक व्यक्ति कुल रकम का 25 पर्सेंट हिस्सा फिक्स्ड रेट पर लेता है और बाकी रकम फ्लोटिंग पर.
अब मान लें कि दो साल बाद ब्याज दर 11 पर्सेंट से बढ़कर 13 पर्सेंट हो जाती है. ऐसे मेंए फिक्स्ड रेट पर ली गई 10 लाख की रकम की ईएमआई 11 पर्सेंट के फिक्स्ड रेट के हिसाब से 11,011 रुपये बैठेगी. जबकि बाकी बचे 30 लाख की ईएमआई 13 पर्सेंट की नई ब्याज दर के हिसाब से 35,000 रुपये बैठेगी. उसकी कुल ईएमआई बनेगी.46,159 रुपये. आशय है कि यदि आपने लोन पर ली रकम के ज्यादातर हिस्से को चुकाने के लिए फ्लोटिंग रेट का चयन किया है और ब्याज की दर बढ़ जाती है, तो ऐसे में, आपको अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी.
ईएमआई दो बातों पर डिपेंड करती है: आपने कितनी रकम लोन पर ली है और ब्याज कितना दे रहे हैं. री.पेमेंट के मामले में शुरुआत के कुछ सालों में आप अपनी ईएमआई में ज्यादातर ब्याज की रकम ही चुका रहे होते हैं और उसमें प्रिंसिपल अमाउंट बहुत कम होता है. जैसे-जैसे पूरा लोन चुकाने की समयावधि खत्म होने के करीब आती है, आपको ज्यादातर प्रिंसिपल एमाउंट चुकाना होता है.

टैक्स-बेनिफिट
होम लोन के मामले में प्रिंसिपल अमाउंट पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80 सी के तहत 1 लाख रुपये तक पर आपको टैक्स छूट का लाभ मिलता है. ब्याज की रकम पर धारा 24 के तहत, अधिक से अधिक डेढ़ लाख रुपये पर टैक्स की छूट मिल सकती है. मान लीजिए कि लोन लेने वाले व्यक्ति की कुल टैक्स योग्य आय है, 15 लाख रुपये. यदि उसने दो लाख का भुगतान ब्याज के तौर पर किया है और 1 लाख का भुगतान प्रिंसिपल अमाउंट के री-पेमेंट के तहत, तो उसकी कुल टैक्स योग्य आय होगी, 15 लाख माइनस डेढ़ लाख माइनस 1 लाख रुपये यानी 12.5 लाख रुपये. इस रकम का 30 पर्सेंट टैक्स के तौर पर देना होगा. मतलब, होम लोन से संबंधित सभी तरह के टैक्स लाभों को काटने के बाद आपको 3.75 लाख रुपये टैक्स के तौर पर देने पड़ेंगे.

जैसे-जैसे साल बीतते जाएंगे, आपकी ई.एम.आई. के माध्यम से इंटरेस्ट अमाउंट का पेमेंट कम और प्रिंसिपल अमाउंट का पेमेंट ज्यादा होता जाएगा. तब संभव है कि आपको ब्याज दर पर 1.5 लाख रुपये का टैक्स लाभ न मिले. ऐसी स्थिति में अगर आप रकम जुटा सकें, तो प्रीपेमेंट के बारे में सोचना लाभ का सौदा हो सकता है. इसके अलावा, यदि आपने म्यूचुअल फंड्स और स्टॉक्स आदि में अच्छा-खासा निवेश किया हुआ है और वहां से आप इन टैक्स बचतों के मुकाबले ज्यादा कमा रहे हैं, तो भी आपको प्रीपेमेंट के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए.

Friday 4 December 2015

रियल एस्टेट बाजार पर पर्यटन का प्रभाव

जैसा की माना जाता है रियल एस्टेट बाजार और पर्यटन उद्योग साथ-साथ चलते हैं। एक क्षेत्र, जहाँ अलग-अलग संस्कृति, परंपरा, कला, संगीत, साहित्य, दर्शन आदि उपलब्ध होते हैं। वहाँ पर निवेशकों द्वारा निवेश में काफी अधिक संभावना होती है। अगर किसी क्षेत्र में अच्छी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं तो वह एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं किया जा सकता और फिर वहाँ रियल एस्टेट की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है |
कोई रियल एस्टेट डेवलपर्स किसी भी क्षेत्र में अपनी परियोजना लाने से पहले, उस क्षेत्र को अच्छी तरह से समझ लेता है और उसी के बाद ही अपनी परियोजना के विषय के हिसाब से  योजनाएं बनाते हैं। वह विषय उस क्षेत्र के हिसाब से उपयुक्त भी होना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर, जो परियोजनाएं पर्यटक स्थल के पास हैं उन जगहों पर ज्यादा खुली व हरी-भरी जगह होती है। वह जगह प्रकृति के काफी करीब होती है। उसी प्रकार से धार्मिक स्थलों के पास  विकसित की जाने वाली परियोजनाओं को भी उसी प्रकार का रूप रंग दिया जाता है ताकि आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने में समर्थ हों |  
इन्ही कारणों से एक क्षेत्र की संस्कृति और परंपरा उसको मिलने वाले समर्थन रियल एस्टेट के क्षेत्र से मिलता है। कई सारे प्रापर्टी ड्वलपर्स को कई पर्यटक स्थलों पर अपनी परियोजनाएं विकसित कर रहें है जहाँ पर लोगों को आकर्षित करने के लिए एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और अन्य ढेर सारी सुविधाएं आदि मौज़ूद है। जहाँ पर बेहतर पर्यटन स्थल है, वहाँ मजबूत रियल एस्टेट बाज़ार भी उपस्थित होने की संभावना अधिक होती है।  
पर्यटन और रियल एस्टेट का सीधा रिश्ता होता है। अगर किसी क्षेत्र में पर्यटन का विकास होता है तो वह रियल एस्टेट बाज़ार के विकास में भी बढ़ावा मिलता है। जहां बहु-संस्कृति से भरे हुए क्षेत्र में, सिर्फ देश के लोग ही नही बल्कि विदेशों के पर्यटक भी भारी संख्या में आते है, जोकि विदेशी निवेश (एफडीआई) के भी द्वार भी खोल देता है। इन पर्यटकों में रियल एस्टेट के भविष्य के खरीददार आते है, और वो जल्द ही उस स्थान पर संपत्ति खरीद भी लेते है। सितम्बर से लेकर मार्च तक का समय भारत में पर्यटन का सबसे अच्छा वक़्त माना जाता है और इसी के बीच सबसे ज्यादा त्योहार भी आते है। साल के इस वक़्त इन क्षेत्रों में रियल एस्टेट बाज़ार भी काफी सक्रिय हो जाता है, और यह हमेशा देखा गया प्रापर्टी की अच्छी बिक्री होती है।
यह मानना श्री एस॰ के॰ सिंह, निदेशक, भूमिटेक डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड जोकि एनएच-24 बी॰ यानि लखनऊ-इलाहाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग के करीब में भूमिटेक का ड्रीम प्रोजेक्ट पंचवटी इको विलेजमौज़ूद है, जोकि सांस्कृतिक, शैक्षणिक व पर्यटन की दृष्टि के साथ-साथ भारतीय जीवन शैली का आधार स्तम्भ है।  

Monday 21 September 2015

लखनऊ रीयल स्टेट के क्षेत्र में एक उभरता नाम

रीयल एस्टेट के क्षेत्र में निवेश हमेशा से एक अच्छा विकल्प रहा है। हाल के दिनों में, भारत में जिस तरीके से रीयल एस्टेट का बाजार उभर कर सामने आया है, यह पूरी विश्व को चौका देने वाला है। अब इसका बाजार दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे मेट्रो शहरो से निकल कर देश के अन्य छोटे-बड़े शहरों में तेजी से फैल रहा है।
उत्तर प्रदेश जनसंख्या के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य माना जाता हैं, जिसकी आबादी लगभग 17 करोड़ से भी अधिक पहुँच चुकी है। आज प्रदेश में रीयल एस्टेट का कारोबार बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, यहाँ लगभग देश के सभी बड़े रीयल एस्टेट कारोबारी जैसे की डी॰ एल॰ एफ॰, ओमेक्स, एल्डिकों, अंसल एपीआई के ढेर सारे प्रोजेक्ट चल रहे हैं। जिसकी वजह से लखनऊ में प्रापर्टी की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ रही है, यह शहर कुछ ही सालों में विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ लगातार निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।
लखनऊ शहर में बहुत ही कम समय में रीयल एस्टेट के क्षेत्र में अपनी ख़ासी पहचान बना चुकी कंपनी भूमिटेक ड़ेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े लोगों को मानना है कि आने वाले कुछ सालों में शहर में रेजीडेंशियल व कमर्शियल प्लॉट मिलना काफी मुश्किल हो जाएगा, क्योकि दिन ब दिन जिस तरह से शहरीकरण बढ़ रहा है, इससे मालूम पड़ता है कि बहुत जल्द ही शहर के मुख्य इलाकों में सिर्फ मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट में ही मकान मिलेंगे।

लखनऊ में रीयल एस्टेट का बाजार बहुत तेजी से बढ्ने के कई महत्वपूर्ण कारण है क्योकि यह शहर शैक्षिक व आर्थिक मामलों में एक केंद्र बनकर उभरा है। जोकि देश-प्रदेश के छात्रों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहाँ के जाने-माने संस्थान जैसे की भारतीय प्रबंध संस्थान (आई॰ आई॰ एम॰), डॉ॰ राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय, सी॰ डी॰ आर॰ आई॰, एन॰ बी॰ आर॰ आई॰, सी-मैप व अन्य कई ऐसे शोध संस्थान व विश्वविद्यालय लगातार बाहर से आने वालों छात्रों को आकर्षित कर रहें है।  
हज़रतगंज के शॉपिंग सेंटर व गोमतीनगर के कमर्शियल सेंटर ने रीयल एस्टेट के बाजार को आगे बढ़ाने में काफी महत्वपूर्ण योगदान किया है। यह शहर प्रदेश का इंडस्ट्रियल व पॉलिटिकल सेंटर होने के नाते भी रीयल एस्टेट की मांग काफी अधिक है। यहाँ पर सरकारी आफ़िसों में अच्छी सैलरी क्लास के लोगों की संख्या अधिक होने के नाते यह भी खरीददारों का एक कोर सेगमेंट है। प्रदेश के लगभग सभी बड़े सरकारी अधिकारी, राजनीतिज्ञों व व्यसायिओ की चाहत होती है कि लखनऊ में उनका मकान जरूर हो।
अत्यधिक मांग होने के कारण बहुत सारे लोग निवेश के उद्देश्य से लोग प्रापर्टी खरीद रहें हैं कि आने वाले भविष्य में उन्हें एक बेहतर रिटर्न मिलेगा। अगर लखनऊ के रीयल एस्टेट की बात करें तो शहर में कई ऐसे आकर्षण के बिन्दु होने के कारण सभी आय-वर्ग के निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। यहाँ अन्य शहरों की तुलना में लखनऊ नगर निगम की बेहतर सुविधा प्रदान करती है, जिससे लोगो में एक विश्वास पैदा किया है कि यह शहर सुविधाओं के मामलों में कई अन्य शहर से अग्रणी है।
लखनऊ की पुरातन अवध संस्कृति, कला व साहित्य के क्षेत्र में एक खासा मुकाम हासिल किया है। यहाँ की प्राचीन इमारतें भूल-भुलैया, आसिफ़ी इमामबाड़ा, छतर मंजिल, रेजीडेंसी, शाह नजफ़ इमामबाड़ा, सिकंदर बाग अन्य कई महत्वपूर्ण स्थल पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। हाल में बनी हुई कई महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल जैसे की अंबेडकर पार्क, जनेश्वर मिश्रा पार्क व लोहिया पार्क भी पर्यटकों को आकर्षित करते रहतें हैं।  
यहाँ पर कुछ पुराने मशहूर बाजार जैसे की अमीनाबाद व चौक हजारों की संख्या में लोग बाहर से ख़रीदारी के लिए आते रहतें हैं। इसके अलावा निशातगंज, हज़रतगंज, इन्दिरानगर एवं महानगर भी विभिन्न प्रकार की चीजों की ख़रीदारी के लिए एक बेहतर बाजार के रूप में जाने जाते हैं। इसके अलावा कई सारे शॉपिंग माल व मल्टीप्लेक्स जैसे की सहारागंज, फ़न, फीनिक्स, रिवर साइड माल आदि भी शहर को खूबसूरती को चाक-चौबन्द करते हैं।
देश में किसी भी जगह जाने के लखनऊ से यातायात के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं चाहे आप रोड से जाना चाहतें हो या फिर रेल से। अगर आपको वायुमार्ग से जाना चाहतें हैं तो चौधरी चरण सिंह अमौसी एयरपोर्ट जोकि देश के अलावा विदेशों में जाने के लिए एक बेहतर विकल्प है।
हाल में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम ने चाहे वह मेट्रो रेल नेटवर्क व स्मार्ट सिटी बनाने  का प्रोजेक्ट हो। इन सब चीजों ने शहर के रीयल एस्टेट बाज़ार को नई ऊंचाई प्रदान की है।

अगर हम चिकित्सा सुविधा की बात करे तो शहर में उत्तम श्रेणी की व्यस्था उपलब्ध है जैसे की किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, बलरामपुर हास्पिटल, राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल, सिविल व एस॰ जी॰ पी॰ जी॰ आई॰ मुख्य रूप से है। लखनऊ शहर का आर्थिक व मूलभूत ढांचे का जिस तरह से विकास हो रहा है आने वाले वक़्त में रीयल एस्टेट का बाजार अपनी कई गुना ऊंचाइयों पर होगा। 

Tuesday 8 September 2015

लखनऊ में कहाँ और क्यों निवेश करें

लखनऊ एक ऐसा उभरता हुआ शहर है जो रीयल एस्टेट के क्षेत्र में निवेशकों को सबसे ज्यादा आकर्षित कर रहा है, क्योकि यह शहर अभी भी काफी सस्ता, बेहतर व अनुकूल जगहों में से एक गिना जा रहा है। यह एक ट्रेंड के तौर पर देखा जा सकता है कि आखिर लखनऊ में निवेशक कहाँ और क्यूँ निवेश करना चाहिए और साथ ही साथ उन्हें किन-किन चीजों में सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
सरकार द्वारा शहर के चौमुखी विकास की कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं ने लखनऊ में निवेशकों को सबसे ज्यादा आकर्षित किया है, जिसमें मेट्रो रेल नेटवर्क, स्मार्ट सिटी, एक्सप्रेसवे व शहरी यातायात की बेहतर सुविधा मुख्य रूप से महत्वपूर्ण है।
किसी आम निवेशक के लिए लखनऊ का रीयल एस्टेट बाजार को समझ पाना काफी मुश्किल काम है। इसलिए बहुत सारे निवेशकों को कई सारी महत्वपूर्ण सूचनाओं से अवगत नही रहते है। सो इसके लिए निवेशकों को इस बात की पूरी तैयारी रखनी चाहिए कि वह शहर के किस इलाके में निवेश करने जा रहे हैं।
अगर आप निवेशक है और आवासीय भूखण्ड या फिर आवासीय फ्लैट में निवेश करना चाहतें हैं तो आपको कुछ निम्न चीजों पर विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है।
लखनऊ में अभी बहुत सारे ऐसे इलाके है, जो पूरी तरह से अभी भी विकसित नही है। फिर भी सूचना व प्रौद्योगिकी की क्रान्ति ने लोगों को रीयल एस्टेट मार्केट के बारे में काफी कुछ जानकारी उपलबद्ध कारवाई है जोकि अपने आप में अभी भी आधी-अधूरी है। जिसकी वजह से इन अपूर्ण विकिसित इलाकों में, कई बिल्डर्स व कन्स्ट्रकशन कंपनियों ने सरकारी अधिकारियों व प्राधिकरण की जानकारी में होने के बावजूद, इन क्षेत्रों का अवैध लेआउट प्लान करके थोक के भाव में बेचा गया है। जिसे उदाहरण के तौर पर शहर के अखबारों में इस तरह की घटनाओं के बारे में अक्सर जानकारी मिल जाती है। इसलिए अगर आप जागरूक निवेशक है और आप आवासीय भूखण्ड या व्यावसायिक भूमि पर निवेश करना चाहतें हैं तो सबसे पहले आप किसी तरह की सौदा करने से पूर्व या उससे संबंधित कागजात पर हस्ताक्षर करने से पहले, उस जमीन से संबन्धित दस्तावेज़ का भौतिक सत्यापन जरूर करवा लेनी चाहिए।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर प्रापर्टी की कीमत बाज़ार कीमत से कम में मिल रही है तो खरीददार या निवेशक को क्या करना चाहिए। यह मानी हुई बात है कि अगर कोई प्रापर्टी, बाजार मूल्य से कम में मिल रही है तो वह उस प्रॉपर्टी में जरूर कोई न कोई समस्या होगी या फिर किसी मजबूरीवश बेची जा रही होगी। लखनऊ में कई अन्य शहरों की तरह, कई ऐसे इलाके है जहां बुनियादी सुविधाओं को लेकर आज भी चुनौती बनी हुई है। जहां आज भी बिजली, पानी व सीवेरेज़ सिस्टम मुख्य समस्या के रूप में मौजूद है।
जहां बिजली के पुराने जर्जर खंभे में कटिया कनैक्शन व ट्रान्स्फ़ोर्मर में अत्यधिक लोड होने से आए दिन दुर्घटनायेँ होती रहती है, इन इलाकों में कब बिजली रहे और कब चली जाये कोई भरोसा नही है। इन इलाकों में सड़कों की हालत काफी बुरी स्थिति में है, अवैध पार्किंग से शहरी यातायात की सुविधा बेहतर न होने के कारण आए दिन जाम लगता रहता है। अगर मूलभूत सुविधा की बात करें तो सबसे बड़ी समस्या है पानी की। कई ऐसे इलाके हैं जहां पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है या फिर वहाँ पर उचित तरीके से पानी की सप्लाई नही हो पा रही है। जहां पर भी बोरिंग बेल के माध्यम से पानी की सप्लाई की जा रही है या तो वहाँ पर जहरीले रसायन जैसे की फ्लुराइड व नाइट्रेट की काफी मात्रा में मौजूदगी दर्ज की गयी है। यह एक तथ्य के रूप में मानी हुई बात है कि लखनऊ के कुछ ऐसी जगह हैं जहां रहना स्वास्थ्य के लिए बिलकुल ठीक नही है। इसलिए ऐसे इलाकों में प्रॉपर्टी की कीमतें अन्य कई इलाकों से काफी कम है और बाजार भाव से इनकी कीमतों में भारी अंतर आपको देखने को मिल सकता है।
लखनऊ में रीयल एस्टेट के क्षेत्र में अपनी लगातार बेहतर उपस्थित दर्ज कराने वाली कंपनी भूमिटेक ड्वलपर्स  प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े हुए लोगों से बात करने पर पता चलता है कि शहर में बहुत सारी प्रापर्टी ब्रोकर्स बेहतर इनफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर आवासीय भूखंड व फ्लैट बेचने वालों की एक लंबी कतार है। अगर आप शहर के किसी भी इलाके में रीयल एस्टेट के क्षेत्र में निवेश करना चाहतें है तो आपको नगर निगम व प्राधिकरण के अधिकारियों के द्वारा तैयार किए गए मास्टर प्लान को जरूर ध्यान देना चाहिए। इस बात का भी जरूर ध्यान रखना चाहिए कि अगर उन इलाकों में भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण कार्य किसी तरह की देरी हो रही हैं तो आपको अपने निवेश करने के प्लान को आपको बदल देना चाहिए। फिर प्रापर्टी लेने में उन्हीं इलाकों का चयन करना चाहिए जहां पर सरकार के तरफ से इस तरह का निर्माण कार्य चल रहा हो।
सामान्य रूप से यह देखा गया है कि बहुत सारे निवेशक मुख्य रूप से निर्माणाधीन परियोजनाओं में निवेश करना बेहतर समझते है क्योकि जो प्रोजेक्ट पहले से बनकर तैयार है और जो निर्माणाधीन हैं, दोनों की कीमतों में काफी अंतर देखा गया है। लेकिन कभी-कभी निर्माणाधीन परियोजनाओं को पूरा होने में काफी वक़्त लग जाता है या किन्हीं कारणों अनिश्चितकालीन समय तक देरी होती है।
अगर आप निवेशक हैं इस तरह की प्रापर्टी में निवेश करने का फैसला कर लिया है तो आपको इस तरह के परियोजनाओं की गहरी समीक्षा करनी चाहिए। आपको सबसे पहले डवलपर्स का बैकग्राउंड पता करना चाहिए किसी इस तरह के प्रोजेक्ट को उसने कभी पहले मैनेज किया है या नही या फिर करने के बाद किस तरह का रिस्पांस मिला।
इसके लिए आपको उससे संबंधित दस्तावेजों की जांच के लिए डवलपर्स के आफ़िस जरूर जाना चाहिए। इसके अलावा निवेशकों को कई छोटी-छोटी मगर महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी जरूर रखनी चाहिए, तभी आप एक बेहतर निवेशक के तौर पर अपने भविष्य का बेहतर निर्माण कर सकेंगे।
  

Friday 4 September 2015

स्मार्ट सिटी के तौर पर लखनऊ कैसा होगा

जब से लखनऊ स्मार्ट सिटी बनने की बात हुई है तब से लखनऊवासियों में लगातार उत्सुकता बरकरार है, और यह एक बड़ा सवाल बनकर उभर रहा है कि आखिरकार स्मार्ट सिटी के तौर पर लखनऊ कैसा दिखेगा। क्या-क्या नए बदलाव दिखेंगे, क्या-क्या नयी सुविधाएं होंगी या फिर यहाँ के इंफ्रास्ट्र्क्चर में कितना बदलाव आएगा। किस तरह से उभरती हुई नई चुनौतियों पर शहर कैसे खरा उतरेगा। 
लखनऊ को ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में देखें तो लगभग 250 साल पहले से शहरीकरण होना शुरू हो चुका था । तब से ही शहर में, मूलभूत सुविधाओं को लेकर एक बेहतर व्यस्था थी, उस जमाने में ही सीवर व ड्रेनेज़ सिस्टम की उत्तम व्यस्था थी। उस समय शहरी यातायात व स्वास्थ्य संबंधी सेवाएँ की समुचित व्यस्था हुआ करती थी। चिकन व जरदोज़ी का बड़े पैमाने पर काम हुआ करता था, जिससे लोगों के पास रोजगार की बेहतर सुविधाएं मौजूद थी। उस समय का नवाबी आर्किटेक्ट आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आखिर इतना सब कुछ होने के बाद भीं, आज लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने की आवश्यकता क्यूँ पड़ रही है । जबकि लखनऊ तो पहले से स्मार्ट हुआ करता था, जहां की कला, संस्कृति व परम्पराएँ बहुत पहले से ही समृद्ध हुआ करती थी। जिसकी झलक हमें आज भी देखने को मिलती है।  

लेकिन समय के साथ शहर में काफी बदलाव देखने को मिला। प्रदेश की राजधानी होने कारण बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा की बेहतर सुविधा होने के कारण शहर की तरफ छोटे शहरों व गाँवों से तेजी से माइग्रेशन हुआ। देखते-देखते आज लखनऊ की आबादी 50 लाख से भीं ऊपर हो गयी। हर साल इसमें काफ़ी तेजी से इजाफा हो रहा है।
जिससे शहर के सभी प्रकार मूलभूत संसाधनो पर तेजी से दबाव बढने लगा। जिसके एवज में, शहर को भारी कीमत भी चुकानी पड़ी है। जिसने अवैध कालोनियों व झुग्गी-झोपड़ियों को जन्म दिया। सरकार के लगातार प्रयास के बावजूद, जो ढांचागत सुधार होने चाहिए था, वो अब तक नही हो पाया है, फिर भी काफी हद तक सफलता हासिल हुई है। अब इस चीज़ को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है कि शहर को किन-किन मायनों में स्मार्ट बनने की जरूरत है ।
अगर हम बिजली की बात करें तो शहर इस मायने प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में कहीं बेहतर है लेकिन शहर के पुराने इलाकों में कटियाँ-कनेक्सन व जर्जर बिजली खंभों से आए दिन दुर्घटनाएँ होती रहती हैं, जिसमें सुधार की तुरंत आवश्यकता है। जिससे शहर के सभी इलाकों में अबाध रूप चौबीस घंटे बिजली की सप्लाई हो सके।
अगर हम पानी की सुविधा की बात करें तो पता चलता कि शहर के चालीस फ़ीसदी इलाकों में अब तक पानी की सप्लाई की सुविधा नही है, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट व सीवज सिस्टम की बेहतर सुविधा न होने कारण पारिस्थितिक तंत्र पर बुरी तरह से प्रभाव पड रहा है, जिसका अंदाज़ा शहर के बीचों-बीच से बहने वाली गोमती नदी की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है। 
अगर हम साफ-सफाई की बात करें तो आप लखनऊ की सड़कों के किनारे पसरी गंदगी व कालोनियों की दुर्दशा  को देखकर आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जिस तहजीब व संस्कृति के रूप में लखनऊ की पहचान हुआ करती थी, वो आज तेजी से धूमिल होती जा रही है। जिसमें लखनऊ के नागरिकों की सबसे बड़ी भूमिका है। यहाँ तब तक कोई उम्मीद नही किया जा सकता है जब तक लोगों में मानसिकता में बदलाव नही आएगा और स्मार्ट सिटी बनने का ख्वाब सिर्फ ख़्वाब बनकर रह जाएगा।  
अगर हम स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की बात करें तो अन्य महानगरों की तुलना में लखनऊ की स्वास्थ्य सेवा काफी बेहतर है। यहाँ पर किंग जार्ज़ मेडिकल कालेज, एस॰ जी॰ पी॰ जी॰ आई॰, राम मनोहर लोहिया, सिविल हास्पिटल, सहारा हास्पिटल व अन्य कई प्राइवेट हास्पिटल व नर्सिंग होम है, जिससे प्रदेश के कई अन्य जिलों से लोग इलाज के लिए आते हैं। जिसका सबसे ज्यादा दबाव सरकारी अस्पतालों पर ज्यादा होता है इसलिए स्मार्ट हेल्थ सर्विसेज के लिए टेक्नोलोजिकल और इंफ्रास्ट्रक्चर तौर काम करने की सबसे ज्यादा आवश्यकता है।
सुरक्षा के दृष्टिकोण से अगर देखे तो यह अन्य शहरों के तुलना में काफी ज्यादा सेफ है। लखनऊ पुलिस ने टेक्नोलोजिकल के तौर का काफी इंप्रूव किया है। अगर शहर में कोई भी घटना या दुर्घटना होती है तो कुछ ही मिनटों में पुलिस वहाँ पहुँच जाती है। और वहीं लखनऊ पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के प्रति काफी सजग है, जिसके लिए मोबाइल पर एप्स व फ्री टोल नंबर की सुविधा उपलब्ध है। पहले की तुलना में सुरक्षातंत्र में काफी स्मार्टनेस आयी है।
शहरी यातायात लखनऊ की सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है। एक सर्वे के मुताबिक लखनऊ में लगभग 50 लाख से अधिक वाहन शहर की सड़कों पर चक्कर काट रहें हैं। हर साल इसमें लगभग 80 हज़ार नए वाहन हर साल इसमें बढ़ोत्तरी कर रहें हैं।  अगर यही हालत रहें तो आने वाले समय में शहरी यातायात की स्थिति काफी भयावह हो सकती थी। अर्बन मोबिलिटी की स्थिति में बेहतरी के लिए ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुधार किया जा सकता है। आने वाले समय में अर्बन मोबिलटी की बेहतरी के लिए सरकार मेट्रो रेल नेटवर्क व बी॰ आर॰ टी॰ एस॰ की सेवाये लगभग हर बड़े शहरों में प्रदान की जा रही है। खैर बी॰ आर॰ टी॰ स॰ की बस सेवाएँ देश के अन्य शहरों में अब तक ज्यादा सफल नही रही है, लेकिन अहमदाबाद में अब तक सबसे ज्यादा सफल रही है।

लखनऊ में जिस तरह से आबादी बढ़ रही है, और संसधानों को लेकर जो दबाव बन रहा है इससे शहर में  सीवेज व सॉलिड वेस्ट की समस्या बढ़ रही है। फिर भी इसको लेकर सरकार भी काफी सजग है, इसके निवारण के लिए जगह-जगह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के प्लांट लगाए गए हैं। उसमें से ज़्यादातर प्लांट या तो बेकार पड़े है या तो  ठीक से काम नही कर रहें हैं। अगर शहर स्मार्ट-सिटी के तौर देखा जाय तो इसमें इन सब चीजों को सुधार काफी आवश्यकता है, यह सब पब्लिक-प्राइवेट पार्टीसिपेशन के माध्यम से सुधारा जा सकता है।
अगर शहर को स्मार्ट बनाने के लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी है कि वह इन्फ्रास्ट्र्क्चर के सुधार की सबसे ज्यादा आवश्यकता है यानि रीयल एस्टेट की टेकनोलोजिकल के तौर पर एक तरह का रिफ़ार्म करने की जरूरत है। आखिर स्मार्ट सिटी बनने की प्रक्रिया में, नयी टेक्नॉलजी के माध्यम मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स, कमर्शियल काम्प्लेक्स, शॉपिंग मॉल व अन्य प्रकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से शहर को स्मार्ट बनाया जा सकता है। आखिर इस तरह के विकास कार्यक्रमों में रीयल स्टेट के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। लखनऊ को स्मार्ट सिटी के बनने के लिए इन्फार्मेशन व कम्यूनिकेशन टेक्नोलोजी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। यह सब स्मार्ट सिटीजन और स्मार्ट गवर्नेंस के माध्यम से संभव हो सकेगा।

Sunday 30 August 2015

कैसा होगा आपका इको विलेज

इको विलेज का सीधा मतलब हमारी प्राचीन ग्रामीण संस्कृति से है, जहां सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक एकीकरण के माध्यम से व सतत विकास की प्रक्रिया के तहत एक ऐसे पुरातन समुदाय का निर्माण करना है, जहां हम फिर से, एक ऐसे सामाजिक व प्राकृतिक पर्यावरण निर्माण कर सके तथा जहां जीवन जीने को एक नया आयाम मिल सके, जहां पुरातन संस्कृति के साथ-साथ आधुनिकता का एक बेहतर समिश्रण हो।  
आधुनिक जीवन शैली ने इंसान के चैन व सुकून के पल को मानो छिन सा लिया है। जिससे प्रकृति प्रदत्त बहुमूल्य उपहारों से दिन-ब-दिन वंचित होता जा रहा है। वह एक ऐसी स्थिति में पहुँच गया है, जहां सिर्फ एक कृत्रिम जीवन-शैली अपना रहा है, वह बिना बुलाये मेहमान की तरह तमाम तरह की बीमारियों जैसे डायबिटीज़, मोटापा व इंसुमेनिया आदि से घिरा हुआ है। 
पुरातन समय में हमारी ग्रामीण अर्थव्यस्था शून्य बजट पर आधारित थी। एक हाथ से हम प्रकृति में उपस्थित बहुमूल्य उपहारों को लेते थे, तो दूसरे हाथ हम उन्हें उसके बदले में कुछ न कुछ सौंपते थे, इसलिए हमारी ग्रामीण अर्थव्यस्था व पर्यावरण का संतुलन हजारों-लाखों सालों से बना हुआ था। आज हम एक ऐसे मुकाम पर खड़े हैं, जहां हम प्रकृति में उपस्थित संसाधनों से सबकुछ हासिल कर लेना चाहतें हैं, लेकिन उसके बदले में वापस करने की कोई प्रवृति हममे नही बची है। 
जो आज की हमारी सामाजिक व आर्थिक व्यस्था वैश्विक पूंजीवाद पर आधारित है जोकि दूरगामी तौर पर देखा जाय तो कहीं से भी सतत विकास की प्रक्रिया का हिस्सा नही है। जिसके कुछ महत्तवपूर्ण कारण है।
पहला यह कि हम लगातार बिना कुछ सोचे-समझें प्राकृतिक संसाधनो का दोहन करते जा रहें है कि जिससे हमारा पर्यावरण व पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बुरी तरह से बिगड़ गया है। जिसकी मुख्य वजह है आधुनिक जीवन-शैली में इंसान की असीमित आवश्यकता। 
दूसरा मुख्य कारण है हमारी आधुनिक अर्थव्यस्था है जोकि मुक्त बाज़ार व वैश्विक पूंजीवाद पर आधारित है जिसने हमारे समाज की सामुदायिक संस्कृति को खत्म सा कर दिया है जोकि सहभागिता की भावना पर आधारित थी। 
वहीं जब से देश ने आर्थिक सुधारों को अपनाया हैं तब से औद्योगिक विकास की रफ्तार में कई गुना की बढ़ोत्तरी हुई है जिससे लाखों लोगों को रोजगार भी मिला है। लेकिन उसके बदले में पर्यावरण व प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र का बुरी तरह क्षरण हुआ है। जोकि हमारे पुरातन ग्रामीण सभ्यता पर आधारित थी। 
आज शहरीकरण और मानव की असीमित आवश्यकताओं ने हमारी ग्रामीण संस्कृति के प्रति उपेक्षा का भाव पैदा किया है, हम अपनी मूल-भावनाओं से हटकर आधुनिक बनने की चाह में एक ऐसे रेस में लगे हुए हैं जिसका आने वाले समय में एक भयावह दुष्परिणाम साफ नजर आ रहा हैं। 
आज की कृषि पद्द्ति पूरी तरह से रासायनिक खाद, पेस्टिसाइड व इन्सेक्टीसाइड पर आधारित हो चुकी है जिसकी वजह से लगातार प्रकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुँच रहा हैं। क्योकि इस पद्द्ति से मिट्टी के भीतर प्रकृतिक रूप से उपस्थित लाखों-करोड़ों जीवाणुओं का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। जिससे मृदा दिन प दिन अनुपजाऊ होती जा रही है। क्योकि आज हम कृषि की पुरातन पद्द्ति यानि जैविक व प्राकृतिक कृषि को पूरी तरह से भूल चुके हैं, जिसको सबसे ज्यादा अपनाने की आवश्यकता है। 
आज हम बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से गुजर रहें हैं जिसके लिए सबसे ज्यादा लोग एलोपैथी उपचार के माध्यम पर निर्भर हैं, जोकि हमारे स्वास्थ्य के लिए लंबे समय तक ज्यादा लाभदायक व प्रभावकारी नही है। हमारी पुरानी चिकित्सा पद्द्ति आयुर्वेद व योग पर आधारित थी, जहां लोगों को स्वास्थ्य-लाभ पहुंचाने की साथ-साथ हमें बीमारियो से दूर-दूर तक भटकने नही देती थी। जिससे लोग एक तरह के स्वास्थ्यवर्धक व   शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत करते थे। 
जब हालत इस कदर हो तो महसूस होता है की क्यों न एक ऐसी जगह की तलाश हो जहां वह प्रकृति से जुड़ी जीवन-शैली को अपना सके। क्या यह सपना आपका सच हो सकता है। 
भूमिटेक ड्वलपर्स प्राइवेट लिमिटेड जल्द ही आपके शहर लखनऊ में आपका एक ऐसा सपना सच करने जा रहा है, जो अब तक पूरे उत्तर भारत में अपने आप में एक मिसाल है यानि इको विलेज जल्द लखनऊ में आ रहा है! इसके बारे में जितनी बात की जाय उतना ही कम हैं क्योकि यह अपने आप में चर्चा का विषय है। अब तक इको विलेज का कोई स्थापित मानक नही है चूंकि यह भौगोलिक एवं पारिस्थितिक तंत्र के साथ इसका एक अलग तरह का सामंजस्य होता है, उसका मानक उसी हिसाब से तैयार होता है।  
प्रकृति व समाज के बेहतर भविष्य की लिए के लिए, इको विलेज एक ऐसा माडल होगा, जिससे हम यह समझ सकेंगे कि कैसे इंसान प्रकृति के साथ एक बेहतर सामंजस्य कैसे बना सके। 
यह तब संभव हो सकेगा, जब हम संगठित रूप से विकास एक ऐसा वैकल्पिक स्पेस तैयार करना होगा, जहां  ग्रामीण पर्यटन, योग व ध्यान, आयुर्वेदिक उपचार, जैविक व प्राकृतिक कृषि, गो-शाला संस्कृति, सौर ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा, वर्षा-जल संवर्धन, कम ऊर्जा संचयित करने वाले प्लांट व अन्य कई महत्वपूर्ण विधियों से हम प्राकृतिक विकास बढ़ावा दे सकेंगे। 

Tuesday 18 August 2015

समाज के प्रति उत्तरदायित्व में 'भूमिटेक' की महती भूमिका

जहां हमेशा से एक बात मानी जाती रही कि आम-जन मानस का कारपोरेट घराने समाज एक प्रति एक विशेष दृष्टिकोण रहता है कि ये सभी कम्पनियाँ अपने व्यक्तिगत फ़ायदे के लिए बनी है जो सिर्फ प्रकृति में उपस्थित सभी प्रकार के संसधानों का उपभोग करती है, और ज्यादा से ज्यादा से लाभ अर्जित करती हैं। वहीं सिर्फ दिखावे के लिए कुछ समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी का हक़ जताती है लेकिन वास्तव में ऐसा नही है यह धारणा सिर्फ कुछ एक कंपनियों के साथ सीमित है।
वहीं कई अन्य बड़ी कंपनिया चाहे वह टाटा ग्रुप या फिर बिरला ग्रुप हो। इस तरह की कई बड़ी कंपनियों ने कारपोरेट सोशल रिसपोन्सबिलिटी में एक बेहतर भूमिका निभाई है। लेकिन इनका दायरा व कार्यक्षेत्र काफी बड़ा है। इस तरह कई अन्य छोटी-बड़ी कम्पनियों ने समाज के प्रति अपने उत्तर दायित्व को लेकर अपनी ज़िम्मेदारी को बख़ूबी से समझ रहीं है।
अभी हाल में ही लखनऊ में स्थित रियल एस्टेट कम्पनी भूमिटेक डवलपर्स ने समाज में हो रही कई तरह सामाजिक गतिविधियों में अपनी भूमिका को बढ़-चढ़ कर सुनिश्चित किया है तथा एक ख़ासी पहचान दिलाई है। जिसने गोमती नदी के संरक्षण को लेकर लोकभारती, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित गोमती अलख यात्रा में एक महत्वपूर्ण सहयोगी की भूमिका निभाई।
प्रकृति के अमूल्य धरोहर नदियों के संरक्षण को लेकर भूमिटेक की संजीदगी काबिले-तारीफ़ है। जहां जीवन-दायिनी नदियाँ अपने अस्तित्व को लेकर संघर्षरत हैं, वहीं समाज में भी लोग इसकी गंभीरता को बकायदे समझते है लेकिन नदियों की अविरलता व निर्मलता लेकर लोगों कोई ख़ास उत्सुकता नजर नहीं आती है।
उपभोग की संस्कृति से, इंसान को समाज से लेने की प्रवत्ति बढ़ी है लेकिन जिस प्रकृति से हम सब-कुछ अर्जित करना चाहतें है क्या उसे हम, उसके बदले में कुछ लौटा रहें हैं अगर नही तो यह आने वाले समय के लिए यह घातक हो सकता है।
नदियां हमारी प्राकृतिक धरोहर है। दुनियाँ की सभी सभ्यताओं के विकास नदियों के किनारे हुआ तथा नदियों के जल-प्रभाव नदियों के किनारे रह रहे जन-जीवन पर अत्याधिक प्रभाव पड़ता है, जहां एक तरफ एक सुनहरी उम्मीदें है तो दूसरी तरफ एक भयावह त्रासदी नजर आ रही है। भूजल के स्रोत दिन ब दिन सूख रहें हैं। जिससे नदियों का जल-प्रवाह निरंतर घट रहा है और बचा हुआ जल भी नगरीय गंदे एवं मल युक्त नालों, उद्योगों के कचरे एवं हानिकारक रसायनों से प्रदूषित हो रहा है। इसके अतिरिक्त नदियों के तटक्षेत्र में बढ़ती हुई बस्तियाँ, अनियोजित विकास व अतिक्रमण के कारण जीव, जंगल समाप्त हो रहें है जिससे संपूर्ण नदी के सामने संकट खड़ा है। 
अतः गोमती अलख यात्रा का मुख्य उद्देश्य आम-जन में मानस नदी के संरक्षण को लेकर एक समग्र चेतना का प्रवाह हो। इनकी अविरल-निर्मल धारा के साथ किसी तरह का छेड़-छाड़ न हो। जिससे नदियां अपनी पूर्ण वत्सलता के साथ खेतों को पानी, धरती को हरियाली एवं समृद्धि देती हुई बहती रहें।  
यह तभी संभव हो सकता हो जब इसमें जन-भागीदारी के साथ-साथ समाज के सभी वर्गो को एकजुट होकर तन-मन-धन नदियों के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई को एक जोरदार मुहिम में बदला जाय।
आज समाज में पर्यावरण की समस्या एक सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। लेकिन समाज में इसके अतिरिक्त अन्य कई गंभीर समस्याओं से ग्रसित है जोकि किसी भी समाज व सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। समाज में मौजूद सभी सरकारी, गैर-सरकारी संगठनो व कारपोरेट एकजुट होकर इस समस्या के प्रति अपनी जबाबदेही को सुनिश्चित करे। 

Monday 17 August 2015

दूरदर्शिता का परिचायक है रियल एस्टेट में निवेश

रियल एस्टेट का कारोबार करने वाली कम्पनियों के लिए वर्तमान समय उपयुक्त है. क्योंकि  निवेश के पुराने व परम्परागत  रास्ते उतने सुरक्षित नहीं है. जैसे सोने-चांदी में निवेश अब उतना आकर्षित नही करता, जितना की हमेशा से करता रहा है।  धातुओं में निवेश काफी हद तक सुरक्षित रहा है। उसके पीछे दो प्रमुख कारण रहे हैं. एक तो कीमत के एवज में वह भौतिक रूप से धातु उसके पास रहती है. दूसरा जब चाहे उसे तरल बनाया जा सकता है, यानि उसे बेच कर लिक्विड मनी प्राप्त की जा सकती है.
परन्तु सुरक्षा कारणों से धातु में निवेश के प्रति लोगों के रुझान में कमी आई है. साथ ही धातु में बड़ा निवेश किया जा सकता है. बड़े निवेश के लिए पिछला दशक शेयर बाज़ार के नाम रहा, परंतु इसमें बिरले ही लोगों ने ही रुचि ली।
निम्न वर्ग से उच्च वर्ग तक के लोगों में, ज़ो धातु में निवेश को लेकर जो उत्सुकता रही है, शेयर बाजार की व्यापक जानकारी न होने के कारण, उसमें लोगों का रुझान नही रहा तथा लोगो के लिए शेयर में निवेश बिलकुल नया रहा।

चूंकि भारतीय परम्परागत समाज प्रत्यक्ष निवेश की आर्थिक पद्यति पर निर्भर रहा है, जबकि शेयर बाजार अप्रत्यक्ष निवेश की पद्यति पर काम करता है।
अप्रत्यक्ष पूजीं निवेश में अभी तक आम-जन मानस में भरोसा नही जमा पाया है। कुछ समय पहले तक बीमा कंपनियों ने तमाम पालिसियों के माध्यम से बाजार में निवेश के लाभ का कुछ हिस्सा अपने ग्राहकों को देने का आश्वासन दिया था। परंतु वह भी पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाये परिणामस्वरूप जनता में एक बार फिर संदेश गया कि अप्रत्यक्ष पूंजी निवेश सदैव ही जोखिम भरा हुआ है।
पुनः बता दे कि भारतीय समाज आर्थिक रूप से जोखिम उठाने की कम मान्यता देता है। जनता की सोच कि अनुसार जमीन-जायजाद में निवेश कम जोखिम भरा है, तथा बेहतर है रियल एस्टेट में सुरक्षा को लेकर किसी तरह की कोई परेशानी नही होती।
रियल एस्टेट में बढ़ते हुए निवेश से बात तो बात साबित हो चुकी है कि रियल एस्टेट में निवेश सबसे सुरक्षित व टिकाऊँ है। इसमें कोई विशेष जोखिम भी नही है चूंकि रियल एस्टेट में फ्लैट व विल्डअप एरिया को छोड़ दे, तो कोई ऐसा रियल एस्टेट उत्पाद नही है जिसके कीमत में लगातार बढ़ोत्तरी न होती हो।
प्लाट, विला, इंडिपेंडेंट हाउस, रो-हाउस का रेट सदैव बढ़ता है। रियल एस्टेट के जानकार लोगों के मुताबिक रियल एस्टेट भविष्य में बढ़ता ही रहेगा। उसका बड़ा कारण है जमीन दिन- ब- दिन घट रही है. जबकि खरीददारों की संख्या में हर दिन इजाफा हो रहा है इसमें अर्थशास्त्र  का सामान्य सिद्धांत का करता है जिसमें कहा गया की जिस वस्तु का उत्पादन उसकी मांग की अपेक्षा कम है उसके कीमत में बढ़ोत्तरी अवश्यमभावी है। इस प्रकार देखा जाय तो जमीन, प्लाट, फ़ार्मिंग लैंड, एग्रीकल्चर फार्म में जो निवेश करता है उसे सालाना कम से कम 30 प्रतिशत वृद्धि होती है।
यानि 3 वर्ष में लागत दोगुना हो जाता है। तीन वर्ष में प्रापर्टी का दाम दोगुना होना सामान्य बात है। परंतु प्लाट या प्रापर्टी व्यस्थित टाउनशिप में हो या अच्छे प्रकल्प में हो तो बढ़ोत्तरी के बारे में कल्पना नही की जा सकती है।
कुछ निवेश तो लागत को एक वर्ष में दोगुना कर देते हैं लेकिन ऐसे अवसर कम मिलते हैं  ऐसे अवसर को लोगों को तलाश रहती है।
जो लोग पहली बार प्रापर्टी में निवेश करते हैं वो सोचने में, या योजना को कार्यरूप देने में समय लगाते है, परंतु जो लोग प्रापर्टी में निवेश का लाभ उठा चुके हैं उनके लिए निवेश एक बेहतरीन अवसर की तरह होता है वह बिना देर किए प्रापर्टी में निवेश करते हैं।
क्योकि प्रापर्टी के लाभ सीधा संबंध समय से है। इसलिए प्रापर्टी में निवेश के लिए त्वरित निर्णय लेना समझदारी है। उदाहरण के लिए जैसे की प्रोजेक्ट शुरू होने वाला हो या शुरू हो रहा हो उस समय उसमें निवेश का समय सब उपयुक्त होता है।
निवेशक की दूरदर्शिता ही रकम को बढ़ाने में कामयाब होती है जबकि प्रोजेक्ट शुरू होता है तो उसके भौतिक स्वरूप किसी के सामने नही होता तथा कोई आकर्षण का बिन्दु नही होता है। इसलिए ग्राहक इस स्वरूप को लेकर सशंकित रहता है। जबकि निवेशक को विश्वास होता है और उसकी दूरदर्शिता परख लेती है कि उसकी मूलभूत सरंचना का विकास होगा तो यहाँ की कीमत आसमान छूने लगेगी।

-संजय कुमार सिंह
(लेखक- भूमिटेक ड्वलपर्स प्रा॰ लि॰ के प्रबंध निदेशक हैं। )