Monday 21 September 2015

लखनऊ रीयल स्टेट के क्षेत्र में एक उभरता नाम

रीयल एस्टेट के क्षेत्र में निवेश हमेशा से एक अच्छा विकल्प रहा है। हाल के दिनों में, भारत में जिस तरीके से रीयल एस्टेट का बाजार उभर कर सामने आया है, यह पूरी विश्व को चौका देने वाला है। अब इसका बाजार दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे मेट्रो शहरो से निकल कर देश के अन्य छोटे-बड़े शहरों में तेजी से फैल रहा है।
उत्तर प्रदेश जनसंख्या के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य माना जाता हैं, जिसकी आबादी लगभग 17 करोड़ से भी अधिक पहुँच चुकी है। आज प्रदेश में रीयल एस्टेट का कारोबार बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, यहाँ लगभग देश के सभी बड़े रीयल एस्टेट कारोबारी जैसे की डी॰ एल॰ एफ॰, ओमेक्स, एल्डिकों, अंसल एपीआई के ढेर सारे प्रोजेक्ट चल रहे हैं। जिसकी वजह से लखनऊ में प्रापर्टी की डिमांड बहुत तेजी से बढ़ रही है, यह शहर कुछ ही सालों में विश्व स्तरीय सुविधाओं के साथ लगातार निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।
लखनऊ शहर में बहुत ही कम समय में रीयल एस्टेट के क्षेत्र में अपनी ख़ासी पहचान बना चुकी कंपनी भूमिटेक ड़ेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े लोगों को मानना है कि आने वाले कुछ सालों में शहर में रेजीडेंशियल व कमर्शियल प्लॉट मिलना काफी मुश्किल हो जाएगा, क्योकि दिन ब दिन जिस तरह से शहरीकरण बढ़ रहा है, इससे मालूम पड़ता है कि बहुत जल्द ही शहर के मुख्य इलाकों में सिर्फ मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट में ही मकान मिलेंगे।

लखनऊ में रीयल एस्टेट का बाजार बहुत तेजी से बढ्ने के कई महत्वपूर्ण कारण है क्योकि यह शहर शैक्षिक व आर्थिक मामलों में एक केंद्र बनकर उभरा है। जोकि देश-प्रदेश के छात्रों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहाँ के जाने-माने संस्थान जैसे की भारतीय प्रबंध संस्थान (आई॰ आई॰ एम॰), डॉ॰ राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय, सी॰ डी॰ आर॰ आई॰, एन॰ बी॰ आर॰ आई॰, सी-मैप व अन्य कई ऐसे शोध संस्थान व विश्वविद्यालय लगातार बाहर से आने वालों छात्रों को आकर्षित कर रहें है।  
हज़रतगंज के शॉपिंग सेंटर व गोमतीनगर के कमर्शियल सेंटर ने रीयल एस्टेट के बाजार को आगे बढ़ाने में काफी महत्वपूर्ण योगदान किया है। यह शहर प्रदेश का इंडस्ट्रियल व पॉलिटिकल सेंटर होने के नाते भी रीयल एस्टेट की मांग काफी अधिक है। यहाँ पर सरकारी आफ़िसों में अच्छी सैलरी क्लास के लोगों की संख्या अधिक होने के नाते यह भी खरीददारों का एक कोर सेगमेंट है। प्रदेश के लगभग सभी बड़े सरकारी अधिकारी, राजनीतिज्ञों व व्यसायिओ की चाहत होती है कि लखनऊ में उनका मकान जरूर हो।
अत्यधिक मांग होने के कारण बहुत सारे लोग निवेश के उद्देश्य से लोग प्रापर्टी खरीद रहें हैं कि आने वाले भविष्य में उन्हें एक बेहतर रिटर्न मिलेगा। अगर लखनऊ के रीयल एस्टेट की बात करें तो शहर में कई ऐसे आकर्षण के बिन्दु होने के कारण सभी आय-वर्ग के निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। यहाँ अन्य शहरों की तुलना में लखनऊ नगर निगम की बेहतर सुविधा प्रदान करती है, जिससे लोगो में एक विश्वास पैदा किया है कि यह शहर सुविधाओं के मामलों में कई अन्य शहर से अग्रणी है।
लखनऊ की पुरातन अवध संस्कृति, कला व साहित्य के क्षेत्र में एक खासा मुकाम हासिल किया है। यहाँ की प्राचीन इमारतें भूल-भुलैया, आसिफ़ी इमामबाड़ा, छतर मंजिल, रेजीडेंसी, शाह नजफ़ इमामबाड़ा, सिकंदर बाग अन्य कई महत्वपूर्ण स्थल पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। हाल में बनी हुई कई महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल जैसे की अंबेडकर पार्क, जनेश्वर मिश्रा पार्क व लोहिया पार्क भी पर्यटकों को आकर्षित करते रहतें हैं।  
यहाँ पर कुछ पुराने मशहूर बाजार जैसे की अमीनाबाद व चौक हजारों की संख्या में लोग बाहर से ख़रीदारी के लिए आते रहतें हैं। इसके अलावा निशातगंज, हज़रतगंज, इन्दिरानगर एवं महानगर भी विभिन्न प्रकार की चीजों की ख़रीदारी के लिए एक बेहतर बाजार के रूप में जाने जाते हैं। इसके अलावा कई सारे शॉपिंग माल व मल्टीप्लेक्स जैसे की सहारागंज, फ़न, फीनिक्स, रिवर साइड माल आदि भी शहर को खूबसूरती को चाक-चौबन्द करते हैं।
देश में किसी भी जगह जाने के लखनऊ से यातायात के लिए सभी सुविधाएं मौजूद हैं चाहे आप रोड से जाना चाहतें हो या फिर रेल से। अगर आपको वायुमार्ग से जाना चाहतें हैं तो चौधरी चरण सिंह अमौसी एयरपोर्ट जोकि देश के अलावा विदेशों में जाने के लिए एक बेहतर विकल्प है।
हाल में सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम ने चाहे वह मेट्रो रेल नेटवर्क व स्मार्ट सिटी बनाने  का प्रोजेक्ट हो। इन सब चीजों ने शहर के रीयल एस्टेट बाज़ार को नई ऊंचाई प्रदान की है।

अगर हम चिकित्सा सुविधा की बात करे तो शहर में उत्तम श्रेणी की व्यस्था उपलब्ध है जैसे की किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, बलरामपुर हास्पिटल, राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल, सिविल व एस॰ जी॰ पी॰ जी॰ आई॰ मुख्य रूप से है। लखनऊ शहर का आर्थिक व मूलभूत ढांचे का जिस तरह से विकास हो रहा है आने वाले वक़्त में रीयल एस्टेट का बाजार अपनी कई गुना ऊंचाइयों पर होगा। 

Tuesday 8 September 2015

लखनऊ में कहाँ और क्यों निवेश करें

लखनऊ एक ऐसा उभरता हुआ शहर है जो रीयल एस्टेट के क्षेत्र में निवेशकों को सबसे ज्यादा आकर्षित कर रहा है, क्योकि यह शहर अभी भी काफी सस्ता, बेहतर व अनुकूल जगहों में से एक गिना जा रहा है। यह एक ट्रेंड के तौर पर देखा जा सकता है कि आखिर लखनऊ में निवेशक कहाँ और क्यूँ निवेश करना चाहिए और साथ ही साथ उन्हें किन-किन चीजों में सतर्कता बरतने की आवश्यकता है।
सरकार द्वारा शहर के चौमुखी विकास की कई महत्वाकांक्षी परियोजनाओं ने लखनऊ में निवेशकों को सबसे ज्यादा आकर्षित किया है, जिसमें मेट्रो रेल नेटवर्क, स्मार्ट सिटी, एक्सप्रेसवे व शहरी यातायात की बेहतर सुविधा मुख्य रूप से महत्वपूर्ण है।
किसी आम निवेशक के लिए लखनऊ का रीयल एस्टेट बाजार को समझ पाना काफी मुश्किल काम है। इसलिए बहुत सारे निवेशकों को कई सारी महत्वपूर्ण सूचनाओं से अवगत नही रहते है। सो इसके लिए निवेशकों को इस बात की पूरी तैयारी रखनी चाहिए कि वह शहर के किस इलाके में निवेश करने जा रहे हैं।
अगर आप निवेशक है और आवासीय भूखण्ड या फिर आवासीय फ्लैट में निवेश करना चाहतें हैं तो आपको कुछ निम्न चीजों पर विशेष रूप से ध्यान रखने की आवश्यकता है।
लखनऊ में अभी बहुत सारे ऐसे इलाके है, जो पूरी तरह से अभी भी विकसित नही है। फिर भी सूचना व प्रौद्योगिकी की क्रान्ति ने लोगों को रीयल एस्टेट मार्केट के बारे में काफी कुछ जानकारी उपलबद्ध कारवाई है जोकि अपने आप में अभी भी आधी-अधूरी है। जिसकी वजह से इन अपूर्ण विकिसित इलाकों में, कई बिल्डर्स व कन्स्ट्रकशन कंपनियों ने सरकारी अधिकारियों व प्राधिकरण की जानकारी में होने के बावजूद, इन क्षेत्रों का अवैध लेआउट प्लान करके थोक के भाव में बेचा गया है। जिसे उदाहरण के तौर पर शहर के अखबारों में इस तरह की घटनाओं के बारे में अक्सर जानकारी मिल जाती है। इसलिए अगर आप जागरूक निवेशक है और आप आवासीय भूखण्ड या व्यावसायिक भूमि पर निवेश करना चाहतें हैं तो सबसे पहले आप किसी तरह की सौदा करने से पूर्व या उससे संबंधित कागजात पर हस्ताक्षर करने से पहले, उस जमीन से संबन्धित दस्तावेज़ का भौतिक सत्यापन जरूर करवा लेनी चाहिए।
दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर प्रापर्टी की कीमत बाज़ार कीमत से कम में मिल रही है तो खरीददार या निवेशक को क्या करना चाहिए। यह मानी हुई बात है कि अगर कोई प्रापर्टी, बाजार मूल्य से कम में मिल रही है तो वह उस प्रॉपर्टी में जरूर कोई न कोई समस्या होगी या फिर किसी मजबूरीवश बेची जा रही होगी। लखनऊ में कई अन्य शहरों की तरह, कई ऐसे इलाके है जहां बुनियादी सुविधाओं को लेकर आज भी चुनौती बनी हुई है। जहां आज भी बिजली, पानी व सीवेरेज़ सिस्टम मुख्य समस्या के रूप में मौजूद है।
जहां बिजली के पुराने जर्जर खंभे में कटिया कनैक्शन व ट्रान्स्फ़ोर्मर में अत्यधिक लोड होने से आए दिन दुर्घटनायेँ होती रहती है, इन इलाकों में कब बिजली रहे और कब चली जाये कोई भरोसा नही है। इन इलाकों में सड़कों की हालत काफी बुरी स्थिति में है, अवैध पार्किंग से शहरी यातायात की सुविधा बेहतर न होने के कारण आए दिन जाम लगता रहता है। अगर मूलभूत सुविधा की बात करें तो सबसे बड़ी समस्या है पानी की। कई ऐसे इलाके हैं जहां पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है या फिर वहाँ पर उचित तरीके से पानी की सप्लाई नही हो पा रही है। जहां पर भी बोरिंग बेल के माध्यम से पानी की सप्लाई की जा रही है या तो वहाँ पर जहरीले रसायन जैसे की फ्लुराइड व नाइट्रेट की काफी मात्रा में मौजूदगी दर्ज की गयी है। यह एक तथ्य के रूप में मानी हुई बात है कि लखनऊ के कुछ ऐसी जगह हैं जहां रहना स्वास्थ्य के लिए बिलकुल ठीक नही है। इसलिए ऐसे इलाकों में प्रॉपर्टी की कीमतें अन्य कई इलाकों से काफी कम है और बाजार भाव से इनकी कीमतों में भारी अंतर आपको देखने को मिल सकता है।
लखनऊ में रीयल एस्टेट के क्षेत्र में अपनी लगातार बेहतर उपस्थित दर्ज कराने वाली कंपनी भूमिटेक ड्वलपर्स  प्राइवेट लिमिटेड से जुड़े हुए लोगों से बात करने पर पता चलता है कि शहर में बहुत सारी प्रापर्टी ब्रोकर्स बेहतर इनफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर आवासीय भूखंड व फ्लैट बेचने वालों की एक लंबी कतार है। अगर आप शहर के किसी भी इलाके में रीयल एस्टेट के क्षेत्र में निवेश करना चाहतें है तो आपको नगर निगम व प्राधिकरण के अधिकारियों के द्वारा तैयार किए गए मास्टर प्लान को जरूर ध्यान देना चाहिए। इस बात का भी जरूर ध्यान रखना चाहिए कि अगर उन इलाकों में भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण कार्य किसी तरह की देरी हो रही हैं तो आपको अपने निवेश करने के प्लान को आपको बदल देना चाहिए। फिर प्रापर्टी लेने में उन्हीं इलाकों का चयन करना चाहिए जहां पर सरकार के तरफ से इस तरह का निर्माण कार्य चल रहा हो।
सामान्य रूप से यह देखा गया है कि बहुत सारे निवेशक मुख्य रूप से निर्माणाधीन परियोजनाओं में निवेश करना बेहतर समझते है क्योकि जो प्रोजेक्ट पहले से बनकर तैयार है और जो निर्माणाधीन हैं, दोनों की कीमतों में काफी अंतर देखा गया है। लेकिन कभी-कभी निर्माणाधीन परियोजनाओं को पूरा होने में काफी वक़्त लग जाता है या किन्हीं कारणों अनिश्चितकालीन समय तक देरी होती है।
अगर आप निवेशक हैं इस तरह की प्रापर्टी में निवेश करने का फैसला कर लिया है तो आपको इस तरह के परियोजनाओं की गहरी समीक्षा करनी चाहिए। आपको सबसे पहले डवलपर्स का बैकग्राउंड पता करना चाहिए किसी इस तरह के प्रोजेक्ट को उसने कभी पहले मैनेज किया है या नही या फिर करने के बाद किस तरह का रिस्पांस मिला।
इसके लिए आपको उससे संबंधित दस्तावेजों की जांच के लिए डवलपर्स के आफ़िस जरूर जाना चाहिए। इसके अलावा निवेशकों को कई छोटी-छोटी मगर महत्वपूर्ण चीजों की जानकारी जरूर रखनी चाहिए, तभी आप एक बेहतर निवेशक के तौर पर अपने भविष्य का बेहतर निर्माण कर सकेंगे।
  

Friday 4 September 2015

स्मार्ट सिटी के तौर पर लखनऊ कैसा होगा

जब से लखनऊ स्मार्ट सिटी बनने की बात हुई है तब से लखनऊवासियों में लगातार उत्सुकता बरकरार है, और यह एक बड़ा सवाल बनकर उभर रहा है कि आखिरकार स्मार्ट सिटी के तौर पर लखनऊ कैसा दिखेगा। क्या-क्या नए बदलाव दिखेंगे, क्या-क्या नयी सुविधाएं होंगी या फिर यहाँ के इंफ्रास्ट्र्क्चर में कितना बदलाव आएगा। किस तरह से उभरती हुई नई चुनौतियों पर शहर कैसे खरा उतरेगा। 
लखनऊ को ऐतिहासिक परिपेक्ष्य में देखें तो लगभग 250 साल पहले से शहरीकरण होना शुरू हो चुका था । तब से ही शहर में, मूलभूत सुविधाओं को लेकर एक बेहतर व्यस्था थी, उस जमाने में ही सीवर व ड्रेनेज़ सिस्टम की उत्तम व्यस्था थी। उस समय शहरी यातायात व स्वास्थ्य संबंधी सेवाएँ की समुचित व्यस्था हुआ करती थी। चिकन व जरदोज़ी का बड़े पैमाने पर काम हुआ करता था, जिससे लोगों के पास रोजगार की बेहतर सुविधाएं मौजूद थी। उस समय का नवाबी आर्किटेक्ट आज भी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। आखिर इतना सब कुछ होने के बाद भीं, आज लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने की आवश्यकता क्यूँ पड़ रही है । जबकि लखनऊ तो पहले से स्मार्ट हुआ करता था, जहां की कला, संस्कृति व परम्पराएँ बहुत पहले से ही समृद्ध हुआ करती थी। जिसकी झलक हमें आज भी देखने को मिलती है।  

लेकिन समय के साथ शहर में काफी बदलाव देखने को मिला। प्रदेश की राजधानी होने कारण बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा की बेहतर सुविधा होने के कारण शहर की तरफ छोटे शहरों व गाँवों से तेजी से माइग्रेशन हुआ। देखते-देखते आज लखनऊ की आबादी 50 लाख से भीं ऊपर हो गयी। हर साल इसमें काफ़ी तेजी से इजाफा हो रहा है।
जिससे शहर के सभी प्रकार मूलभूत संसाधनो पर तेजी से दबाव बढने लगा। जिसके एवज में, शहर को भारी कीमत भी चुकानी पड़ी है। जिसने अवैध कालोनियों व झुग्गी-झोपड़ियों को जन्म दिया। सरकार के लगातार प्रयास के बावजूद, जो ढांचागत सुधार होने चाहिए था, वो अब तक नही हो पाया है, फिर भी काफी हद तक सफलता हासिल हुई है। अब इस चीज़ को गंभीरता से समझने की आवश्यकता है कि शहर को किन-किन मायनों में स्मार्ट बनने की जरूरत है ।
अगर हम बिजली की बात करें तो शहर इस मायने प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में कहीं बेहतर है लेकिन शहर के पुराने इलाकों में कटियाँ-कनेक्सन व जर्जर बिजली खंभों से आए दिन दुर्घटनाएँ होती रहती हैं, जिसमें सुधार की तुरंत आवश्यकता है। जिससे शहर के सभी इलाकों में अबाध रूप चौबीस घंटे बिजली की सप्लाई हो सके।
अगर हम पानी की सुविधा की बात करें तो पता चलता कि शहर के चालीस फ़ीसदी इलाकों में अब तक पानी की सप्लाई की सुविधा नही है, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट व सीवज सिस्टम की बेहतर सुविधा न होने कारण पारिस्थितिक तंत्र पर बुरी तरह से प्रभाव पड रहा है, जिसका अंदाज़ा शहर के बीचों-बीच से बहने वाली गोमती नदी की स्थिति को देखकर लगाया जा सकता है। 
अगर हम साफ-सफाई की बात करें तो आप लखनऊ की सड़कों के किनारे पसरी गंदगी व कालोनियों की दुर्दशा  को देखकर आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जिस तहजीब व संस्कृति के रूप में लखनऊ की पहचान हुआ करती थी, वो आज तेजी से धूमिल होती जा रही है। जिसमें लखनऊ के नागरिकों की सबसे बड़ी भूमिका है। यहाँ तब तक कोई उम्मीद नही किया जा सकता है जब तक लोगों में मानसिकता में बदलाव नही आएगा और स्मार्ट सिटी बनने का ख्वाब सिर्फ ख़्वाब बनकर रह जाएगा।  
अगर हम स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं की बात करें तो अन्य महानगरों की तुलना में लखनऊ की स्वास्थ्य सेवा काफी बेहतर है। यहाँ पर किंग जार्ज़ मेडिकल कालेज, एस॰ जी॰ पी॰ जी॰ आई॰, राम मनोहर लोहिया, सिविल हास्पिटल, सहारा हास्पिटल व अन्य कई प्राइवेट हास्पिटल व नर्सिंग होम है, जिससे प्रदेश के कई अन्य जिलों से लोग इलाज के लिए आते हैं। जिसका सबसे ज्यादा दबाव सरकारी अस्पतालों पर ज्यादा होता है इसलिए स्मार्ट हेल्थ सर्विसेज के लिए टेक्नोलोजिकल और इंफ्रास्ट्रक्चर तौर काम करने की सबसे ज्यादा आवश्यकता है।
सुरक्षा के दृष्टिकोण से अगर देखे तो यह अन्य शहरों के तुलना में काफी ज्यादा सेफ है। लखनऊ पुलिस ने टेक्नोलोजिकल के तौर का काफी इंप्रूव किया है। अगर शहर में कोई भी घटना या दुर्घटना होती है तो कुछ ही मिनटों में पुलिस वहाँ पहुँच जाती है। और वहीं लखनऊ पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के प्रति काफी सजग है, जिसके लिए मोबाइल पर एप्स व फ्री टोल नंबर की सुविधा उपलब्ध है। पहले की तुलना में सुरक्षातंत्र में काफी स्मार्टनेस आयी है।
शहरी यातायात लखनऊ की सबसे बड़ी समस्या बनकर उभरा है। एक सर्वे के मुताबिक लखनऊ में लगभग 50 लाख से अधिक वाहन शहर की सड़कों पर चक्कर काट रहें हैं। हर साल इसमें लगभग 80 हज़ार नए वाहन हर साल इसमें बढ़ोत्तरी कर रहें हैं।  अगर यही हालत रहें तो आने वाले समय में शहरी यातायात की स्थिति काफी भयावह हो सकती थी। अर्बन मोबिलिटी की स्थिति में बेहतरी के लिए ई-गवर्नेंस के माध्यम से सुधार किया जा सकता है। आने वाले समय में अर्बन मोबिलटी की बेहतरी के लिए सरकार मेट्रो रेल नेटवर्क व बी॰ आर॰ टी॰ एस॰ की सेवाये लगभग हर बड़े शहरों में प्रदान की जा रही है। खैर बी॰ आर॰ टी॰ स॰ की बस सेवाएँ देश के अन्य शहरों में अब तक ज्यादा सफल नही रही है, लेकिन अहमदाबाद में अब तक सबसे ज्यादा सफल रही है।

लखनऊ में जिस तरह से आबादी बढ़ रही है, और संसधानों को लेकर जो दबाव बन रहा है इससे शहर में  सीवेज व सॉलिड वेस्ट की समस्या बढ़ रही है। फिर भी इसको लेकर सरकार भी काफी सजग है, इसके निवारण के लिए जगह-जगह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के प्लांट लगाए गए हैं। उसमें से ज़्यादातर प्लांट या तो बेकार पड़े है या तो  ठीक से काम नही कर रहें हैं। अगर शहर स्मार्ट-सिटी के तौर देखा जाय तो इसमें इन सब चीजों को सुधार काफी आवश्यकता है, यह सब पब्लिक-प्राइवेट पार्टीसिपेशन के माध्यम से सुधारा जा सकता है।
अगर शहर को स्मार्ट बनाने के लिए जो सबसे ज्यादा जरूरी है कि वह इन्फ्रास्ट्र्क्चर के सुधार की सबसे ज्यादा आवश्यकता है यानि रीयल एस्टेट की टेकनोलोजिकल के तौर पर एक तरह का रिफ़ार्म करने की जरूरत है। आखिर स्मार्ट सिटी बनने की प्रक्रिया में, नयी टेक्नॉलजी के माध्यम मल्टीस्टोरी बिल्डिंग्स, कमर्शियल काम्प्लेक्स, शॉपिंग मॉल व अन्य प्रकार के इन्फ्रास्ट्रक्चर के माध्यम से शहर को स्मार्ट बनाया जा सकता है। आखिर इस तरह के विकास कार्यक्रमों में रीयल स्टेट के क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। लखनऊ को स्मार्ट सिटी के बनने के लिए इन्फार्मेशन व कम्यूनिकेशन टेक्नोलोजी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। यह सब स्मार्ट सिटीजन और स्मार्ट गवर्नेंस के माध्यम से संभव हो सकेगा।