Sunday 30 August 2015

कैसा होगा आपका इको विलेज

इको विलेज का सीधा मतलब हमारी प्राचीन ग्रामीण संस्कृति से है, जहां सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय और सांस्कृतिक एकीकरण के माध्यम से व सतत विकास की प्रक्रिया के तहत एक ऐसे पुरातन समुदाय का निर्माण करना है, जहां हम फिर से, एक ऐसे सामाजिक व प्राकृतिक पर्यावरण निर्माण कर सके तथा जहां जीवन जीने को एक नया आयाम मिल सके, जहां पुरातन संस्कृति के साथ-साथ आधुनिकता का एक बेहतर समिश्रण हो।  
आधुनिक जीवन शैली ने इंसान के चैन व सुकून के पल को मानो छिन सा लिया है। जिससे प्रकृति प्रदत्त बहुमूल्य उपहारों से दिन-ब-दिन वंचित होता जा रहा है। वह एक ऐसी स्थिति में पहुँच गया है, जहां सिर्फ एक कृत्रिम जीवन-शैली अपना रहा है, वह बिना बुलाये मेहमान की तरह तमाम तरह की बीमारियों जैसे डायबिटीज़, मोटापा व इंसुमेनिया आदि से घिरा हुआ है। 
पुरातन समय में हमारी ग्रामीण अर्थव्यस्था शून्य बजट पर आधारित थी। एक हाथ से हम प्रकृति में उपस्थित बहुमूल्य उपहारों को लेते थे, तो दूसरे हाथ हम उन्हें उसके बदले में कुछ न कुछ सौंपते थे, इसलिए हमारी ग्रामीण अर्थव्यस्था व पर्यावरण का संतुलन हजारों-लाखों सालों से बना हुआ था। आज हम एक ऐसे मुकाम पर खड़े हैं, जहां हम प्रकृति में उपस्थित संसाधनों से सबकुछ हासिल कर लेना चाहतें हैं, लेकिन उसके बदले में वापस करने की कोई प्रवृति हममे नही बची है। 
जो आज की हमारी सामाजिक व आर्थिक व्यस्था वैश्विक पूंजीवाद पर आधारित है जोकि दूरगामी तौर पर देखा जाय तो कहीं से भी सतत विकास की प्रक्रिया का हिस्सा नही है। जिसके कुछ महत्तवपूर्ण कारण है।
पहला यह कि हम लगातार बिना कुछ सोचे-समझें प्राकृतिक संसाधनो का दोहन करते जा रहें है कि जिससे हमारा पर्यावरण व पारिस्थितिक तंत्र का संतुलन बुरी तरह से बिगड़ गया है। जिसकी मुख्य वजह है आधुनिक जीवन-शैली में इंसान की असीमित आवश्यकता। 
दूसरा मुख्य कारण है हमारी आधुनिक अर्थव्यस्था है जोकि मुक्त बाज़ार व वैश्विक पूंजीवाद पर आधारित है जिसने हमारे समाज की सामुदायिक संस्कृति को खत्म सा कर दिया है जोकि सहभागिता की भावना पर आधारित थी। 
वहीं जब से देश ने आर्थिक सुधारों को अपनाया हैं तब से औद्योगिक विकास की रफ्तार में कई गुना की बढ़ोत्तरी हुई है जिससे लाखों लोगों को रोजगार भी मिला है। लेकिन उसके बदले में पर्यावरण व प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र का बुरी तरह क्षरण हुआ है। जोकि हमारे पुरातन ग्रामीण सभ्यता पर आधारित थी। 
आज शहरीकरण और मानव की असीमित आवश्यकताओं ने हमारी ग्रामीण संस्कृति के प्रति उपेक्षा का भाव पैदा किया है, हम अपनी मूल-भावनाओं से हटकर आधुनिक बनने की चाह में एक ऐसे रेस में लगे हुए हैं जिसका आने वाले समय में एक भयावह दुष्परिणाम साफ नजर आ रहा हैं। 
आज की कृषि पद्द्ति पूरी तरह से रासायनिक खाद, पेस्टिसाइड व इन्सेक्टीसाइड पर आधारित हो चुकी है जिसकी वजह से लगातार प्रकृतिक पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुँच रहा हैं। क्योकि इस पद्द्ति से मिट्टी के भीतर प्रकृतिक रूप से उपस्थित लाखों-करोड़ों जीवाणुओं का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है। जिससे मृदा दिन प दिन अनुपजाऊ होती जा रही है। क्योकि आज हम कृषि की पुरातन पद्द्ति यानि जैविक व प्राकृतिक कृषि को पूरी तरह से भूल चुके हैं, जिसको सबसे ज्यादा अपनाने की आवश्यकता है। 
आज हम बहुत सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से गुजर रहें हैं जिसके लिए सबसे ज्यादा लोग एलोपैथी उपचार के माध्यम पर निर्भर हैं, जोकि हमारे स्वास्थ्य के लिए लंबे समय तक ज्यादा लाभदायक व प्रभावकारी नही है। हमारी पुरानी चिकित्सा पद्द्ति आयुर्वेद व योग पर आधारित थी, जहां लोगों को स्वास्थ्य-लाभ पहुंचाने की साथ-साथ हमें बीमारियो से दूर-दूर तक भटकने नही देती थी। जिससे लोग एक तरह के स्वास्थ्यवर्धक व   शांतिपूर्वक जीवन व्यतीत करते थे। 
जब हालत इस कदर हो तो महसूस होता है की क्यों न एक ऐसी जगह की तलाश हो जहां वह प्रकृति से जुड़ी जीवन-शैली को अपना सके। क्या यह सपना आपका सच हो सकता है। 
भूमिटेक ड्वलपर्स प्राइवेट लिमिटेड जल्द ही आपके शहर लखनऊ में आपका एक ऐसा सपना सच करने जा रहा है, जो अब तक पूरे उत्तर भारत में अपने आप में एक मिसाल है यानि इको विलेज जल्द लखनऊ में आ रहा है! इसके बारे में जितनी बात की जाय उतना ही कम हैं क्योकि यह अपने आप में चर्चा का विषय है। अब तक इको विलेज का कोई स्थापित मानक नही है चूंकि यह भौगोलिक एवं पारिस्थितिक तंत्र के साथ इसका एक अलग तरह का सामंजस्य होता है, उसका मानक उसी हिसाब से तैयार होता है।  
प्रकृति व समाज के बेहतर भविष्य की लिए के लिए, इको विलेज एक ऐसा माडल होगा, जिससे हम यह समझ सकेंगे कि कैसे इंसान प्रकृति के साथ एक बेहतर सामंजस्य कैसे बना सके। 
यह तब संभव हो सकेगा, जब हम संगठित रूप से विकास एक ऐसा वैकल्पिक स्पेस तैयार करना होगा, जहां  ग्रामीण पर्यटन, योग व ध्यान, आयुर्वेदिक उपचार, जैविक व प्राकृतिक कृषि, गो-शाला संस्कृति, सौर ऊर्जा, अक्षय ऊर्जा, वर्षा-जल संवर्धन, कम ऊर्जा संचयित करने वाले प्लांट व अन्य कई महत्वपूर्ण विधियों से हम प्राकृतिक विकास बढ़ावा दे सकेंगे। 

Tuesday 18 August 2015

समाज के प्रति उत्तरदायित्व में 'भूमिटेक' की महती भूमिका

जहां हमेशा से एक बात मानी जाती रही कि आम-जन मानस का कारपोरेट घराने समाज एक प्रति एक विशेष दृष्टिकोण रहता है कि ये सभी कम्पनियाँ अपने व्यक्तिगत फ़ायदे के लिए बनी है जो सिर्फ प्रकृति में उपस्थित सभी प्रकार के संसधानों का उपभोग करती है, और ज्यादा से ज्यादा से लाभ अर्जित करती हैं। वहीं सिर्फ दिखावे के लिए कुछ समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी का हक़ जताती है लेकिन वास्तव में ऐसा नही है यह धारणा सिर्फ कुछ एक कंपनियों के साथ सीमित है।
वहीं कई अन्य बड़ी कंपनिया चाहे वह टाटा ग्रुप या फिर बिरला ग्रुप हो। इस तरह की कई बड़ी कंपनियों ने कारपोरेट सोशल रिसपोन्सबिलिटी में एक बेहतर भूमिका निभाई है। लेकिन इनका दायरा व कार्यक्षेत्र काफी बड़ा है। इस तरह कई अन्य छोटी-बड़ी कम्पनियों ने समाज के प्रति अपने उत्तर दायित्व को लेकर अपनी ज़िम्मेदारी को बख़ूबी से समझ रहीं है।
अभी हाल में ही लखनऊ में स्थित रियल एस्टेट कम्पनी भूमिटेक डवलपर्स ने समाज में हो रही कई तरह सामाजिक गतिविधियों में अपनी भूमिका को बढ़-चढ़ कर सुनिश्चित किया है तथा एक ख़ासी पहचान दिलाई है। जिसने गोमती नदी के संरक्षण को लेकर लोकभारती, उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित गोमती अलख यात्रा में एक महत्वपूर्ण सहयोगी की भूमिका निभाई।
प्रकृति के अमूल्य धरोहर नदियों के संरक्षण को लेकर भूमिटेक की संजीदगी काबिले-तारीफ़ है। जहां जीवन-दायिनी नदियाँ अपने अस्तित्व को लेकर संघर्षरत हैं, वहीं समाज में भी लोग इसकी गंभीरता को बकायदे समझते है लेकिन नदियों की अविरलता व निर्मलता लेकर लोगों कोई ख़ास उत्सुकता नजर नहीं आती है।
उपभोग की संस्कृति से, इंसान को समाज से लेने की प्रवत्ति बढ़ी है लेकिन जिस प्रकृति से हम सब-कुछ अर्जित करना चाहतें है क्या उसे हम, उसके बदले में कुछ लौटा रहें हैं अगर नही तो यह आने वाले समय के लिए यह घातक हो सकता है।
नदियां हमारी प्राकृतिक धरोहर है। दुनियाँ की सभी सभ्यताओं के विकास नदियों के किनारे हुआ तथा नदियों के जल-प्रभाव नदियों के किनारे रह रहे जन-जीवन पर अत्याधिक प्रभाव पड़ता है, जहां एक तरफ एक सुनहरी उम्मीदें है तो दूसरी तरफ एक भयावह त्रासदी नजर आ रही है। भूजल के स्रोत दिन ब दिन सूख रहें हैं। जिससे नदियों का जल-प्रवाह निरंतर घट रहा है और बचा हुआ जल भी नगरीय गंदे एवं मल युक्त नालों, उद्योगों के कचरे एवं हानिकारक रसायनों से प्रदूषित हो रहा है। इसके अतिरिक्त नदियों के तटक्षेत्र में बढ़ती हुई बस्तियाँ, अनियोजित विकास व अतिक्रमण के कारण जीव, जंगल समाप्त हो रहें है जिससे संपूर्ण नदी के सामने संकट खड़ा है। 
अतः गोमती अलख यात्रा का मुख्य उद्देश्य आम-जन में मानस नदी के संरक्षण को लेकर एक समग्र चेतना का प्रवाह हो। इनकी अविरल-निर्मल धारा के साथ किसी तरह का छेड़-छाड़ न हो। जिससे नदियां अपनी पूर्ण वत्सलता के साथ खेतों को पानी, धरती को हरियाली एवं समृद्धि देती हुई बहती रहें।  
यह तभी संभव हो सकता हो जब इसमें जन-भागीदारी के साथ-साथ समाज के सभी वर्गो को एकजुट होकर तन-मन-धन नदियों के अस्तित्व को बचाने की लड़ाई को एक जोरदार मुहिम में बदला जाय।
आज समाज में पर्यावरण की समस्या एक सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। लेकिन समाज में इसके अतिरिक्त अन्य कई गंभीर समस्याओं से ग्रसित है जोकि किसी भी समाज व सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। समाज में मौजूद सभी सरकारी, गैर-सरकारी संगठनो व कारपोरेट एकजुट होकर इस समस्या के प्रति अपनी जबाबदेही को सुनिश्चित करे। 

Monday 17 August 2015

दूरदर्शिता का परिचायक है रियल एस्टेट में निवेश

रियल एस्टेट का कारोबार करने वाली कम्पनियों के लिए वर्तमान समय उपयुक्त है. क्योंकि  निवेश के पुराने व परम्परागत  रास्ते उतने सुरक्षित नहीं है. जैसे सोने-चांदी में निवेश अब उतना आकर्षित नही करता, जितना की हमेशा से करता रहा है।  धातुओं में निवेश काफी हद तक सुरक्षित रहा है। उसके पीछे दो प्रमुख कारण रहे हैं. एक तो कीमत के एवज में वह भौतिक रूप से धातु उसके पास रहती है. दूसरा जब चाहे उसे तरल बनाया जा सकता है, यानि उसे बेच कर लिक्विड मनी प्राप्त की जा सकती है.
परन्तु सुरक्षा कारणों से धातु में निवेश के प्रति लोगों के रुझान में कमी आई है. साथ ही धातु में बड़ा निवेश किया जा सकता है. बड़े निवेश के लिए पिछला दशक शेयर बाज़ार के नाम रहा, परंतु इसमें बिरले ही लोगों ने ही रुचि ली।
निम्न वर्ग से उच्च वर्ग तक के लोगों में, ज़ो धातु में निवेश को लेकर जो उत्सुकता रही है, शेयर बाजार की व्यापक जानकारी न होने के कारण, उसमें लोगों का रुझान नही रहा तथा लोगो के लिए शेयर में निवेश बिलकुल नया रहा।

चूंकि भारतीय परम्परागत समाज प्रत्यक्ष निवेश की आर्थिक पद्यति पर निर्भर रहा है, जबकि शेयर बाजार अप्रत्यक्ष निवेश की पद्यति पर काम करता है।
अप्रत्यक्ष पूजीं निवेश में अभी तक आम-जन मानस में भरोसा नही जमा पाया है। कुछ समय पहले तक बीमा कंपनियों ने तमाम पालिसियों के माध्यम से बाजार में निवेश के लाभ का कुछ हिस्सा अपने ग्राहकों को देने का आश्वासन दिया था। परंतु वह भी पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाये परिणामस्वरूप जनता में एक बार फिर संदेश गया कि अप्रत्यक्ष पूंजी निवेश सदैव ही जोखिम भरा हुआ है।
पुनः बता दे कि भारतीय समाज आर्थिक रूप से जोखिम उठाने की कम मान्यता देता है। जनता की सोच कि अनुसार जमीन-जायजाद में निवेश कम जोखिम भरा है, तथा बेहतर है रियल एस्टेट में सुरक्षा को लेकर किसी तरह की कोई परेशानी नही होती।
रियल एस्टेट में बढ़ते हुए निवेश से बात तो बात साबित हो चुकी है कि रियल एस्टेट में निवेश सबसे सुरक्षित व टिकाऊँ है। इसमें कोई विशेष जोखिम भी नही है चूंकि रियल एस्टेट में फ्लैट व विल्डअप एरिया को छोड़ दे, तो कोई ऐसा रियल एस्टेट उत्पाद नही है जिसके कीमत में लगातार बढ़ोत्तरी न होती हो।
प्लाट, विला, इंडिपेंडेंट हाउस, रो-हाउस का रेट सदैव बढ़ता है। रियल एस्टेट के जानकार लोगों के मुताबिक रियल एस्टेट भविष्य में बढ़ता ही रहेगा। उसका बड़ा कारण है जमीन दिन- ब- दिन घट रही है. जबकि खरीददारों की संख्या में हर दिन इजाफा हो रहा है इसमें अर्थशास्त्र  का सामान्य सिद्धांत का करता है जिसमें कहा गया की जिस वस्तु का उत्पादन उसकी मांग की अपेक्षा कम है उसके कीमत में बढ़ोत्तरी अवश्यमभावी है। इस प्रकार देखा जाय तो जमीन, प्लाट, फ़ार्मिंग लैंड, एग्रीकल्चर फार्म में जो निवेश करता है उसे सालाना कम से कम 30 प्रतिशत वृद्धि होती है।
यानि 3 वर्ष में लागत दोगुना हो जाता है। तीन वर्ष में प्रापर्टी का दाम दोगुना होना सामान्य बात है। परंतु प्लाट या प्रापर्टी व्यस्थित टाउनशिप में हो या अच्छे प्रकल्प में हो तो बढ़ोत्तरी के बारे में कल्पना नही की जा सकती है।
कुछ निवेश तो लागत को एक वर्ष में दोगुना कर देते हैं लेकिन ऐसे अवसर कम मिलते हैं  ऐसे अवसर को लोगों को तलाश रहती है।
जो लोग पहली बार प्रापर्टी में निवेश करते हैं वो सोचने में, या योजना को कार्यरूप देने में समय लगाते है, परंतु जो लोग प्रापर्टी में निवेश का लाभ उठा चुके हैं उनके लिए निवेश एक बेहतरीन अवसर की तरह होता है वह बिना देर किए प्रापर्टी में निवेश करते हैं।
क्योकि प्रापर्टी के लाभ सीधा संबंध समय से है। इसलिए प्रापर्टी में निवेश के लिए त्वरित निर्णय लेना समझदारी है। उदाहरण के लिए जैसे की प्रोजेक्ट शुरू होने वाला हो या शुरू हो रहा हो उस समय उसमें निवेश का समय सब उपयुक्त होता है।
निवेशक की दूरदर्शिता ही रकम को बढ़ाने में कामयाब होती है जबकि प्रोजेक्ट शुरू होता है तो उसके भौतिक स्वरूप किसी के सामने नही होता तथा कोई आकर्षण का बिन्दु नही होता है। इसलिए ग्राहक इस स्वरूप को लेकर सशंकित रहता है। जबकि निवेशक को विश्वास होता है और उसकी दूरदर्शिता परख लेती है कि उसकी मूलभूत सरंचना का विकास होगा तो यहाँ की कीमत आसमान छूने लगेगी।

-संजय कुमार सिंह
(लेखक- भूमिटेक ड्वलपर्स प्रा॰ लि॰ के प्रबंध निदेशक हैं। )